महत्वाकांक्षी लघु एवं मध्यम उद्यमों को बाह्य इक्विटी के लिए तैयार करना - एक पुस्तिका
भारतीय उद्यमशीलता की भावना देश के एमएसएमई के विविध परिदृश्य में प्रकट होती है। 6.3 करोड़ से अधिक उद्यमों के साथ, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद में 29% और इसके निर्यात में 44% का योगदान देता है। निस्संदेह, एमएसएमई माननीय प्रधानमंत्री के 2047 तक ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
एमएसएमई को किफायती दरों पर वित्त उपलब्ध कराकर सार्थक वित्तीय समावेशन प्राप्त करना भारत सरकार की प्राथमिकता रही है। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि एमएसएमई क्षेत्र को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के बकाया अग्रिमों और एमएसएमई की 'नए ऋण' श्रेणी में वित्त वर्ष 2023 के दौरान क्रमशः 17% और 37% से अधिक की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। कोविड-19 महामारी के दौरान, आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना ने एक करोड़ से अधिक एमएसएमई को समय पर वित्तीय सहायता प्रदान की, जो एमएसएमई को समर्थन देने और उनकी लचीलापन और विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि IFCI लिमिटेड और FISME ने एसएमई को उनके विकास प्रयासों में सहायता करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की पहल की है। मेरा मानना है कि एसएमई को इक्विटी पूंजी बाजार तक पहुँचने के विभिन्न पहलुओं से परिचित होने में इस ‘आकांक्षी एसएमई को बाहरी इक्विटी के लिए तैयार करने पर पुस्तिका’ की सामग्री उपयोगी लगेगी।
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